message of chief guest nirmal das ji on the occasion of vijayadashami 2017
इस मंच के माध्यम से भारतवासियों को सन्देश देना चाहता हूँ की सब प्राणियों में परमात्मा का अंश है। व सबमें एक सामान रूप से है। "सबमें जोत, जोत में सोई" इसलिए सबको मिलजुलकर रहना चाहिए, सबको मिलकर समाज व देश के विकास व रक्षा में योगदान डालना चाहिए। श्री गुरु रविदास जी ने कहा है "सत संगीत मिल रहिये माधो जैसे मधुप मखिरा" सबको मिलकार ऐसे रहना चाहिए जैसे मधुमखियाँ रहती है। श्री गुरु रविदास जी ने राजपथ के बारे में कहा "ऐसा चाहुँ राज में यहाँ सभन को मिले अन्न, छोटे बड़े सैम बैसे, रविदास रहे प्रसन्न" सब को सामान भाव से रहना चाहिए व सब की न्यूनतम जरूरते - रोटी, कपड़ा, मकान व शिक्षा, चिकित्सा आदि समान रूप से पूरी हो, ऐसे राज में ही सब प्रसन्न रह सकते है।
भारत माता की जय
जय गुरुदेव
Letter of chief guest nirmal das ji on the occasion of vijayadashami 2017 to Dr. Mohan ji Bhagwat
आदरणीय मोहन भागवत जी
सादर नमस्कार,
आपके साथ कल के कार्यक्रम मे उपस्थित रहने का एक सुअवसर मुझे प्राप्त होना था । मगर शायद भाग्य को यह मंजूर नहीं है । इसी कारण दिल्ली एयरपोर्ट पर आकर अचानक स्वास्थ खराब हुआ । छाती में पीडा व पसीना आने के कारण डा. की सलाह से फ्लाइट छोडनी पडी । अभी भी मै निजी डाक्टर के इलाज रतहूँ । मन की तीव्र इच्छा होते हुए भी मुझे डा. की सलाह से कल के कार्यक्रम मे अनुपस्थित रहना होगा । एक बार फिर आप से क्षमा चाहताहूँ और यह आशा भी करता हूँ कि मेरी मजबुरी को समझते हुए आप क्षमा करेंगे व अपने पंजाब दौरे मे मेरे यहाँ ;डेरा में आकर अनुग्रहीत करेंगे ।
दुःखी हृदय से
आपका
संत निर्मलदास
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